Saturday, 31 August 2024

कुछ रातें ऐसी भी



कुछ रातें ऐसी ही बीत जायेगी
सैंया के इंतजार में भोर हो जायेगी।

पुरानी यादों के पन्ने को बार बार उलटती रहेगी
तस्वीर पर उसके माथे को चूमने के बाद
उसके चहरे पर बारी बारी से कसक गुस्सा
उदासी और आस के हाव भाव आने जाने के बाद
दुल्हनिया की नजर जब घड़ी की सुई पर जायेगी
तो उनका दस मिनट दस पहर में तब्दील हो जायेगी।

इस दौरान कई दफा दुल्हनिया ने अपनी रिश्तों की कुरबानी को
समझ और अहसास के तराजू पर तौल जायेगी।
सब कुछ खो जाने के डर को अपनी बेमिसाल मोहब्बत की शायरनामे में छुपा रखेगी।
और करबटें बदलते बदलते 
उसकी ये रात ऐसी ही बीत जायेगी।

 आंखें बंद कर अपनी लटों को  वो सुलझाए
ये नई नई सुहागन हो गई है उनकी जोगन
प्रेम की पूजारन मंदिर सजाएगी।

कल सवेरे जब पूछो तो
पल्लू के भीगे कोने से गाल पोछती हुई
हल्की सी मुस्कान के साथ बतलाएगी
कुछ रातें ऐसी ही बीत जायेगी।